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न पूछ यूं उम्र मेरी (हास्य व्यंग ) लेखनी कहानी -27-Aug-2023

न पूछ यूं उम्र मेरी (हास्य व्यंग)

न पूछ यूं उम्र मेरी,साठ के उम्र में सोलह के लगते हैं प्रेमगीत गीत गुनगुना उनसे मुहब्बत फरमा सकते हैं सफेद बालों को काला कर पूरे जवां दिख सकते हैं नकली ही लगाकर दांतों को मजबूत दिखा सकते हैं

न पूछ यूं उम्र मेरी, बहुत ही मेरी रुसवाई हो जाएगी बमुश्किल से तैयार हुई है गोरी छोड़के चली जाएगी इस बुढ़ापे में मेरा साथ निभाने से वो मुकर जाएगी हरशख्स को ही मेरी हकीकत भी मालूम हो जाएगी

न पूछ यूं उम्र मेरी, हम तो सदा जवां रहना चाहते हैं इश्क़,इबादत में नीयत अपनी साफ़ रखना चाहते हैं उम्र के इस दौर में भी ज़िंदगी के मज़े लेना चाहते हैं आज़ इस उम्र में भी कईगुना छोटा दिखना चाहते हैं

न पूछ यूं उम्र मेरी, जो दिल करेगा करना चाहते हैं दिलजवां औ चेहरे पे सदा मुस्कान रखना चाहते हैं ज़िंदगी में जीनेके बस यही अंदाज रखना चाहते हैं साठकी उम्र हुई तो क्या दिल जवां रखना चाहते हैं

न पूछ यूं उम्र मेरी, किसी उम्र में कुछ कर सकते हैं कच्चे उम्र में ज़िंदगी जीने के ये तजुर्बे कहां होते हैं इक नज़र देख उन्हें तसल्ली से जी लिया करते हैं इंतज़ार में उनके अपने तमाम उम्र गुजार सकते हैं

न पूछ यूं उम्र मेरी,बढ़ते उम्रमें सुंदरता नहीं कमती सघ यह है कि ये चेहरे से उतर दिल में समा जाती खुद की उम्र देख उदास होने की जरूरत ना होती प्यार में कोई उम्र नहीं होती, किसी उम्र में ये होती

पटना बिहार (गृह नगर)


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2 Comments

अंतिम दो तीन लाइन में कुछ शब्द गलत हुए हैं शायद,,,

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सुन्दर सृजन

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